.अधूरा किरदार
यु मानो इन्तिज़ार के आसार बस ख़तम होने को थे,
उम्र वाही कही थमी रही .
वो तो पन्नो को यु ही पलटती रही ,
हम हि किसी किरदार सा पीछे छुटते चले गए .
उन्होंने तो सब भुला नया साहिल चुन लिया
हम किनारे खड़े आज भि बारिश में भीग रहे .
मस्रुफिअतो का दौर है ख्वाइशो पर अब धुल जमने लगी है
पर कहिनी यही खत्म नही होती ……
सिलसिला बदला में वाही था !
कई फिर्दोश आई ,कुछ ने पन्ने पलटे ,कुछ ने नजरंदाज़ किया
कुछ बर्दाश न कर सकी कुछ उलझ गई ,इन गीली लकड़ी से किरदार में .
ना जला पाई मुझेऔर ना भुझा पाई ….
शायद ये सब एक इत्तिफाक़ ही था !
.
पर उम्मीद का होसला तो देखो ! ,इन्तीजर उसका है जिनको एहेसास तक नही ,
में एक वक्त था किताबो में सिमट गया ,तुम एक लमहा थी खयालो में कही ओझल हो
यु मानो इन्तिज़ार के आसार बस ख़तम होने को थे,
उम्र वाही कही थमी रही .
वो तो पन्नो को यु ही पलटती रही ,
हम हि किसी किरदार सा पीछे छुटते चले गए .
उन्होंने तो सब भुला नया साहिल चुन लिया
हम किनारे खड़े आज भि बारिश में भीग रहे .
मस्रुफिअतो का दौर है ख्वाइशो पर अब धुल जमने लगी है
पर कहिनी यही खत्म नही होती ……
सिलसिला बदला में वाही था !
कई फिर्दोश आई ,कुछ ने पन्ने पलटे ,कुछ ने नजरंदाज़ किया
कुछ बर्दाश न कर सकी कुछ उलझ गई ,इन गीली लकड़ी से किरदार में .
ना जला पाई मुझेऔर ना भुझा पाई ….
शायद ये सब एक इत्तिफाक़ ही था !
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पर उम्मीद का होसला तो देखो ! ,इन्तीजर उसका है जिनको एहेसास तक नही ,
में एक वक्त था किताबो में सिमट गया ,तुम एक लमहा थी खयालो में कही ओझल हो